Pages

Saturday, June 13, 2015

दौलतमंद का हिसाब-हिन्दी कविता(daulatmand ka hisab-hindi poem)

आकाश में उड़ते हुए
सभी को धरती
हरी दिखाई देती है।

वातानुकूलित कक्षों में
हिसाब करने वालों को
सभी की तिजोरी
भरी दिखाई देती है।

कहें दीपक बापू सवारी करते
जो दौलत और शौहरत के रथ से
सड़क पर विचरते हर राहगीर के
बागी होने की सोच में
उनकी नीयत
डरी दिखाई देती है






















No comments:

Post a Comment